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shri bhaktmaal (श्री भक्तमाल )code 2066 by Gita Press Gorakhpur

Original price was: ₹500.00.Current price is: ₹369.00.

भक्तमाल हिन्दी का एक ऐतिहासिक ग्रन्थ है। इसके रचयिता नाभादास या नाभाजी हैं। इसका रचना काल सं. १५६० और १६८० के बीच माना जा सकता है। भक्तमाल में नाभाजी ने इस ग्रन्थ की रचना का उद्देश्य बताया है कि –

अग्रदेव आज्ञा दई भक्तन को यश गाउ ।
भवसागर के तरन कौं नाहिन और उपाउ ॥

भक्तमाल के दो पहलू स्पष्ट ही प्रतीत होते हैं, एक में छप्पयों में रामानुज आचार्य से पूर्व के सभी प्रकार के भक्तों के नामों का ही स्मरण है। दूसरे में एक-एक कवि या भक्त पर एक पूरा छप्पय, जिसमें उस भक्त के विशिष्ट गुणों पर प्रकाश पड़ता है।[1] एक छप्पय में छः चरणों के एक छन्द में किसी कवि की जीवनी नहीं आ सकती। इसलिये इसे जीवनी साहित्य नहीं कहा जा सकता। यह भी ठीक है, पर आगे भक्तमाल पर जो टीकाएँ हुई उनमें विस्तारपूर्वक प्रत्येक कवि के जीवन की घटनाओं का वर्णन हुआ है। ऐसी पहली प्रसिद्ध टीका है — प्रियादास की भक्ति रस बोधिनी

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Weight 1.2 g
Dimensions 27 × 21 × 4 cm

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