Sale!

Nari ank Kalyan (नारी अंक) code 43

Original price was: ₹500.00.Current price is: ₹425.00.

गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित कल्याण का नारी अंक मात्र 300/- में बढ़िया जिल्द घर बैठे मंगवाइये प्री पेड़ आर्डर पर 5% कैशबैक पाइये

Description

नम्र निवेदन
भारतीय संस्कृति और समाजमें नारीका आदरणीय, विशिष्ट तथा गौरवपूर्ण स्थान है। वह इस देशकी
पावन परम्पराओंसे प्रतिबद्ध श्रेष्ठतम संस्कारोंसे परिष्कृत तथा अपने कर्तव्योंके प्रति संवेदनशील, सतत
जाग्रत् और सहज समर्पित है। इसीलिये भारतकी नारीको ‘गृहस्वामिनी’ तथा ‘गृहलक्ष्मी’ की गौरवमयी
पदवी स्वतः प्राप्त है।
किंतु खेदका विषय है कि वर्तमानमें पाश्चात्य संस्कृतिसे प्रभावित ( प्रदूषित वातावरण,
अत्याधुनिक रहन-सहन तथा फैशनके प्रति बढ़ते मिथ्या मोहाकर्षण एवं अन्धानुकरणके कारण आज
हमारी बहुत सी बहनें दिग्भ्रमित हैं। वे अज्ञानतावश अभारतीय संस्कारों को अपनाकर अधःपतनकी ओर
अग्रसरित हो रही हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति मात्र नारी जगत्‌के लिये ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण भारतीय
समाज और हमारी आदर्श संस्कृतिके लिये भी घातक और अमङ्गलकारी संकेत है। अतएव ‘नारी मङ्गल
तथा ‘नारी कल्याण के लिये भारतीय देवियोंको अपने देशकी गौरवमयी सांस्कृतिक परम्परा, सुसंस्कारों
और आदशोंसे जुड़ना तथा जोड़ना परमावश्यक है।
नारी- मङ्गलकी इसी पवित्र भावनासे अनुप्रेरित होकर गीताप्रेसने ‘कल्याण’ के बाईसवें वर्ष (सन्
१९४८ ई०) के विशेषाङ्कके रूपमें ‘नारी-अङ्क’ प्रकाशित किया था, जो पर्याप्त लोकप्रिय और उपयोगी
सिद्ध हुआ। फलस्वरूप इसका एक लाख प्रतियोंका प्रथम संस्करण शीघ्र ही समाप्त हो गया। उसी
समयसे ‘कल्याण’ के प्रेमी पाठकों, जिज्ञासु महानुभावों और श्रद्धामयी देवियोंद्वारा इसके पुनर्मुद्रणकी
माँग उत्तरोत्तर बढ़ती रही परिणामस्वरूप इसके कुछ पुनर्मुद्रित संस्करण प्रकाशित किये गये। इस
सर्वजनोपयोगी विशेषाङ्ककी उपलब्धता सुनिश्चित करने एवं आगे भी निरन्तरता बनाये रखने के उद्देश्य से
अब यह नवीनतम ग्रन्थाकार संस्करण आपकी सेवामें प्रस्तुत है।
इसमें भारतीय दृष्टिकोणसे नारीविषयक विभिन्न समस्याओंपर विस्तृत चर्चा और उनका भारतीय
आदशोंचित समाधान है। साथ ही नारी धर्म, नारी कर्तव्य, नारीका प्राचीन तथा वर्तमान स्वरूप एवं नारी-
गौरव और नारी-कल्याण आदि अनेक उपयोगी विषयोंपर मनीषी विद्वानों, विचारकों और सम्माननीया
देवियों द्वारा इसमें बहुत ही महत्त्वपूर्ण प्रकाश डाला गया है। भारतसहित विश्वकी अनेक सुप्रसिद्ध महान्
महिला-रत्नोंके जीवन परिचय और जीवनादर्शोंपर मूल्यवान् प्रेरक सामग्री इसके उल्लेखनीय विषय हैं।
‘नारी- अङ्क’ के इस ग्रन्थाकार संस्करणके विषय में यह उल्लेखनीय है कि प्रथम बार (सन् १९४८
ई० में) प्रकाशित उक्त विशेष के तीन विशिष्ट उपयोगी लेख (१) ‘तुलसीदासका नारी सौंदर्य (२)
जगज्जननी सीता और (३) जगजननी श्रीराधा अधिक बड़े होनेके कारण उनके शेषांश परिशिष्टा
(साधारण अङ्क संख्या २) में क्रमशः प्रकाशित किये गये थे, वे तीनों ही निबन्ध अब पाठकोंके
सुविधार्थ इस ग्रन्थाकार नवीन संस्करणमें लगातार एक ही स्थानपर देकर पूर्ण किये गये हैं। फलस्वरूप
इस संस्करणमें पूर्व संस्करणोंकी अपेक्षा लगभग पचीस पृष्ठोंकी सामग्री भी अधिक बढ़ गयी है।
इस प्रकार नारी- अङ्कका यह नवीन पुनर्मुद्रित, परिवर्धित संस्करण सर्वसाधारण जनोंसहित श्रद्धालु,
जिज्ञासु पाठकों एवं समस्त नारी जगत् के लिये अत्यन्त उपादेय और प्रेरणाप्रद मार्गदर्शक है। अतएव हमारा
विनम्र अनुरोध है कि इसके अधिकाधिक अध्ययन अनुशीलनद्वारा सभीको मुख्यतः माता, बहनों,
देवियों और बालिकाओंको विशेष लाभ उठाना चाहिये।

Additional information

Weight 2.5 g
Dimensions 27 × 21 × 6 cm

Reviews

There are no reviews yet.

Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.

You may also like…

X

Add to cart

message us
Scan the code
Geetapress.in
राम राम जी !
किसी भी सहायता के लिए Whatsapp से संपर्क करे